कलर कोड
कलर कोड
परिचय
कार्बन रेजिस्टेंस आकार में इतने छोटे होते है कि उनका रेजिस्टेंस उन पर प्रिन्ट करने की अपेक्षा विभिन्न रंगों की लाइनों द्वारा व्यक्त करना
अधिक सुविधाजनक होता है । इसके अतिरिक्त यदि एक ही डिब्बे में अनेक मानो के मिले जुले रेजिस्टेंस भरे हुए हो तो आवश्यक मान के रेजिस्टेंस का चयन करने में भी सुविधा होती है।
रंग अंकन विधियाँ –रेसिस्टर्स पर विभिन्न रंगों द्वारा मान अंकन करने की दो विधियाँ है। जिसके आधार पर कार्बन रेसिस्टर्स दो पर कर होते है।
1 कलर बैंड टाइप
– इस विधि में रेसिस्टर के एक किनारे के पास से प्रारम्भ करके थोड़ी थोड़ी दूर पर विभिन्न रंगों की तीन या चार छल्लाकार पट्टिया खीच दी जाती हैं। इसमे से पहली टट्टी जो सबसे किनारे वाली है का रंग – रेजिस्टेंस का मान का पहला अंक , दूसरा अंक तथा तीसरी पट्टी का रंग पहले दो अंको से बनी संख्या के गुणक को व्यक्त करता है चौथी पट्टी का रंग रेसिस्टर की सहनसीमा को व्यक्त करता है ।यदि चौथी पट्टी नही है तो सहनसीमा 20% समझी जाती है।
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2 बॉडी टाइप
– इस विधि में रेसिस्टर की बॉडी का रंग– रेसिस्टेन्स मान का पहला अंक , सिरे का रंग – दूसरा अंक , बिन्दी का रंग – पहले दो अंको से बनी सख्या के गुणक को व्यक्त करता है। रेसिस्टर के दूसरे सिरे के पास सहनसीमा प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक रंग का एक धब्बा या आयताकार चिन्ह होता है । यदि यह धब्बा नही है तो रेसिस्टर की सहनसीमा 20% समझी जाती है।
5 कलर वाली रेजिस्टेंस को पहचाने का तरीका।
इसमे पहला रंग पास में होगा और दूसरा इस से कुछ अलग होगा और तीसरा उससे भी कुछ दूरी पर होगा तथा चौथा कलर बाद वाले से कुछ दूरी पर होगा इसी से हमें पता चलता हे की रेजिस्टेंस कैसे पकड़ना है
5 कलर वाली रेजिस्टेंस में अधिकतर तीसरा कलर ब्लैक होता है।
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