इलैक्ट्रोनिक्स के विकास के साथ – साथ इलैक्ट्रोनिक उपकरणों की आवश्यकताओ के अनुरूप, अनेक प्रकार के ऑसिलेटर सर्किट्स डिजाइन किये गये है जो इस प्रकार है :-
यह सरलतम प्रकार का ऑसिलेटर परिपथ है। इसमें दो क़वायल्स L1 तथा L2 एक ट्रांसफार्मर की भांति लपेटी जाती है। कवायल L1 को कलैक्टर परिपथ में तथा कवायल L2 को बेस परिपथ से संयोजित किया जाता है। ऑसिलेशन्स की फ्रीकवेंसी का मान L1 तथा C1 के मानो पर निर्भर करता है। कपैसिटर CE ऑसिलेशन्स के लिए कम रिएक्टेंस वाला मार्ग प्रस्तुत करता है।
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जब सर्किट को ऑन किया जाता है तो कलैक्टर करंट का मान बढ़ने लगता है और कपैसिटर C1 आवेशित हो जाता है। जब यह कपैसिटर पूरी तरह आवेशित हो जाता है तो यह कवायल L1 के द्वारा विसर्जित होने लगता है और परिपथ में ऑसिलेशन्स पैदा होने प्रारम्भ हो जाते है। ये ऑसिलेशन्स कवायल L2 में कुछ वोल्टेज पैदा करते है जिसे ट्रांजिस्टर के बेस – एमीटर को प्रदान कर दिया जाता है जो एम्पलीफाइड रूप में कलैक्टर परिपथ में प्रगट होता है। इस परिपथ का आउटपुट कपैसिटर C2 के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
इस परिपथ की ऑसिलेटरी फ्रीकवेंसी की गणना सूत्र द्वारा की जाती है।
Note :- उपरोक्त परिपथ की भाँति ही ट्यून्ड बेस ऑसिलेटर परिपथ भी होता है जो CB (Common Base) प्रकार का परिपथ होता है।
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