परिचय :- किसी चालक में इलैक्ट्रोन के तीव्र गति से एक सिरे से दूसरे सिरे तक और दूसरे सिरे से पहले सिरे तक चलने से विधुत चुम्बकीय तरंगे पैदा होती है | प्रारम्भिक प्रकार के ट्रांसमीटर में विधुत स्पार्क से विधुत चुम्बकीय तरंगे (रेडियो वेव्ज )पैदा की जाती थी इस प्रकार किसी चालक में इलैक्ट्रोन की स्पन्दन गति ( To and Fro motion ) ऑसिलेशन कहलाती है और इस गति को पैदा करने वाली युक्ति ऑसिलेटर कहलाती है |
किलो हर्ट्ज और मैगा हर्ट्ज रेंज की फ्रीकवेंसी जैनेरेटर से पैदा करना असुविधाजनक ही नहीं लगभग असम्भव है | साथ ही केवल एक स्थिर मान की फ्रीकवेंसी पैदा करने के लिए विभिन्न प्रकार के ट्रांजिस्टर युक्त ऑसिलेटर्स ही उपयुक्त है |
प्रत्येक ऑसिलेटर सर्किट के लिए न्यूनतम तीन वस्तुओ का होना आवश्यक है –
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टैंक सर्किट की कार्यप्रणाली :- यदि एक कैपेसिटर को आवेशित करके एक क़्वायल के एक्रॉस जोड़ दिया जाये तो कैपेसिटर डिस्चार्ज होने लगेगा | इलैक्ट्रोन्स प्लेट B से प्लेट A की ओर क़्वायल में से होकर जाने लगेंगे | इलैक्ट्रोन्स प्रवाह के कारण क़्वायल चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जायेगा जो प्रत्यावर्ती स्वाभाव का होगा | चुम्बकीय क्षेत्र के प्रत्यावर्ती स्वाभाव के कारण क़्वायल में विरोधी वि० वा ० ब ० पैदा जायेगा जो करंट प्रवाह का विरोध करेगा | इस प्रकार करंट का मान घट जायेगा |
जब दोनों प्लेटो पर इलैक्ट्रोन्स की संख्या बराबर हो जाएगी, अर्थात कैपेसिटर पूरा विसर्जित हो जायेगा तो करंट घट जायेगी और चुम्बकीय क्षेत्र सिकुडने लगेगा | चुम्बकीय क्षेत्र के सिकुडने से करंट प्रवाह, वाली दिशा में जारी रहेगा और विरोधी वि० वा ० ब ० करंट के घटने का विरोध करेगा यह क्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक की प्लेट B का आवेश पूरी तरह विसर्जित नहीं हो जाता | इस प्रकार कैपेसिटर विपरीत दिशा में आवेशित हो जायेगा |
अब पुनः पहले वाली क्रिया प्रारम्भ हो जायेगी इस प्रकार कैपेसिटर का स्थिर वैधुतिक क्षेत्र क़्वायल के चुम्बकीय क्षेत्र में और क़्वायल का चुम्बकीय क्षेत्र कैपेसिटर के स्थिर वैधुतिक क्षेत्र में ऊर्जा स्थानान्तरण करता रहेगा परिणामस्वरूप सर्किट में ऑसिलेटिंग करंट प्रवाहित होने लगेगी | यदि ऊर्जा स्थानान्तरण में किसी प्रकार की क्षति न हो तो ऑसिलेशन्स अनन्त कल तक चलते रहे ,परन्तु क़्वायल और कैपेसिटर के आतंरिक रेसिस्टेन्स के कारण वैधुतिक ऊर्जा क्षय होती रहती है |
इस प्रकार ऑसिलेशन्स का आयाम निरंतर घटता जाता है | निरन्तर घटते हुए इम्पलीट्यूड वाले ऑसिलेशन्स, डैम्प्ड ऑसिलेशन्स कहलाते है | टैंक सर्किट की ऑसिलेशन फ्रीकवेंसी पता करने के लिए यह सूत्र प्रयोग किया जाता है
यहाँ
F = फ्रीकवेंसी हर्ट्ज में
L = इंडक्टेन्स, हैनरी में
C = कैपेस्टेंस, फैरेड में
2π = नियतांक, 2 X 3.142
यदि डैम्प्ड वेव के प्रत्येक साईकिल में होने वाली ऊर्जा की क्षति पूर्ति की जाती रहे तो टैंक लगातार ऑसिलेशन्स पैदा करता रहेगा | इस उदेश्य की पूर्ति के लिए ही विभिन्न प्रकार के ऑसिलेटर सर्किट्स डिजाइन किये गये है |
Barkhausen Criterion – किसी सिगनल वाल्व या ट्रांजिस्टर, स्व-उत्तेजित ऑसिलेटर में ऑसिलेशन्स जारी रहने के लिए आवश्यक शर्त यह है की – एम्पलीफायर का वोल्टेज गेन, फीडबैक फैक्टर को पूरी तरह निरस्त करने वाला हो |
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