Definition

ऑसिलेटर की मौलिक आवश्यकताए ||टैंक सर्किट की कार्यप्रणाली

ऑसिलेटर  तथा ऑसिलेटर की मौलिक आवश्यकताए

परिचय :- किसी चालक में इलैक्ट्रोन के तीव्र गति से एक सिरे से दूसरे सिरे तक और दूसरे सिरे से पहले सिरे तक चलने से विधुत चुम्बकीय तरंगे पैदा होती है | प्रारम्भिक प्रकार के ट्रांसमीटर में विधुत स्पार्क से विधुत चुम्बकीय तरंगे (रेडियो वेव्ज )पैदा की जाती थी इस प्रकार किसी चालक में इलैक्ट्रोन की स्पन्दन गति ( To and Fro motion ) ऑसिलेशन कहलाती है और इस गति को पैदा करने वाली युक्ति ऑसिलेटर कहलाती है |

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किलो हर्ट्ज और मैगा हर्ट्ज रेंज की फ्रीकवेंसी जैनेरेटर से पैदा करना असुविधाजनक  ही नहीं लगभग असम्भव है | साथ ही केवल एक स्थिर मान की फ्रीकवेंसी पैदा करने के लिए विभिन्न प्रकार के ट्रांजिस्टर युक्त ऑसिलेटर्स  ही उपयुक्त है |

ऑसिलेटर की मौलिक आवश्यकताए

प्रत्येक ऑसिलेटर सर्किट के लिए न्यूनतम तीन वस्तुओ का होना आवश्यक है –

  1. ट्रांजिस्टर एम्प्लीफायर सर्किट
  2. फीडबैक सर्किट
  3. टैंक सर्किट

 

  1. एम्प्लीफायर – एम्प्लीफायर सर्किट में कुछ सुधर करके उसे ऑसिलेटर सर्किट में परिवर्तित कर दिया जाता है |
  2. फीडबैक सर्किट – ऑसिलेटर के लिए पॉजिटिव फीडबैक आवश्यक होता है | ऐसी के द्वारा आउटपुट ऊर्जा का कुछ अंश इनपुट सर्किट को प्राप्त होता है और ऑसिलेशन्स जारी रहते है यदि फीडबैक वोल्टेज का मान पर्याप्त नहीं है और वह एम्प्लीफायर की क्षतियो की पूर्ति नहीं कर पता तो सर्किट ऑसिलेट नहीं करेगा |
  3. टैंक सर्किट – यह एक इंडक्टर तथा कपैसिटर युक्त रजोनेन्ट सर्किट अथवा क्रिस्टल युक्त रजोनेन्ट सर्किट होता है | इसी सर्किट में ऑसिलेशन्स पैदा होते है और ऑसिलेशन फ्रीकवेंसी निर्धारित होती है |

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टैंक सर्किट की कार्यप्रणाली :- यदि एक कैपेसिटर को आवेशित करके एक क़्वायल  के एक्रॉस जोड़ दिया जाये तो कैपेसिटर डिस्चार्ज होने लगेगा | इलैक्ट्रोन्स प्लेट B से प्लेट A की ओर क़्वायल में से होकर जाने लगेंगे | इलैक्ट्रोन्स  प्रवाह के कारण क़्वायल  चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो जायेगा जो प्रत्यावर्ती स्वाभाव का होगा | चुम्बकीय क्षेत्र के प्रत्यावर्ती स्वाभाव के कारण क़्वायल में विरोधी वि० वा ० ब ० पैदा  जायेगा जो करंट प्रवाह का विरोध करेगा | इस प्रकार करंट का मान घट जायेगा |

ऑसिलेटर्स तथा ऑसिलेटर की मौलिक आवश्यकताए

जब दोनों प्लेटो पर इलैक्ट्रोन्स की संख्या बराबर हो जाएगी, अर्थात कैपेसिटर पूरा विसर्जित हो जायेगा तो करंट घट जायेगी और चुम्बकीय क्षेत्र सिकुडने लगेगा | चुम्बकीय क्षेत्र के सिकुडने से करंट प्रवाह, वाली दिशा में जारी रहेगा और विरोधी वि० वा ० ब ० करंट के घटने का विरोध करेगा यह क्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक की प्लेट B का आवेश पूरी तरह विसर्जित नहीं हो जाता | इस प्रकार कैपेसिटर विपरीत दिशा में आवेशित हो जायेगा |

अब पुनः पहले वाली क्रिया प्रारम्भ हो जायेगी इस प्रकार कैपेसिटर का स्थिर वैधुतिक क्षेत्र क़्वायल के चुम्बकीय क्षेत्र में और क़्वायल का चुम्बकीय क्षेत्र कैपेसिटर के स्थिर वैधुतिक क्षेत्र में ऊर्जा स्थानान्तरण करता रहेगा परिणामस्वरूप सर्किट में ऑसिलेटिंग करंट प्रवाहित होने लगेगी | यदि ऊर्जा स्थानान्तरण में किसी प्रकार की क्षति न हो तो ऑसिलेशन्स अनन्त कल तक चलते रहे ,परन्तु क़्वायल और कैपेसिटर के आतंरिक रेसिस्टेन्स के कारण वैधुतिक ऊर्जा क्षय होती रहती है |

इस प्रकार ऑसिलेशन्स का आयाम निरंतर घटता जाता है | निरन्तर घटते हुए इम्पलीट्यूड वाले ऑसिलेशन्स, डैम्प्ड ऑसिलेशन्स कहलाते है | टैंक सर्किट की ऑसिलेशन फ्रीकवेंसी पता करने के लिए यह सूत्र प्रयोग किया जाता है

ऑसिलेशन फ्रीकवेंसी

यहाँ

F = फ्रीकवेंसी हर्ट्ज में

L = इंडक्टेन्स, हैनरी में

C = कैपेस्टेंस, फैरेड में

2π =  नियतांक, 2 X 3.142

यदि डैम्प्ड वेव के प्रत्येक साईकिल में होने वाली ऊर्जा की क्षति पूर्ति की जाती रहे तो टैंक लगातार ऑसिलेशन्स पैदा करता रहेगा | इस उदेश्य की पूर्ति के लिए ही विभिन्न प्रकार के ऑसिलेटर सर्किट्स डिजाइन किये गये है |

Barkhausen Criterion – किसी सिगनल वाल्व या ट्रांजिस्टर, स्व-उत्तेजित ऑसिलेटर में ऑसिलेशन्स जारी रहने के लिए आवश्यक शर्त यह है की – एम्पलीफायर का वोल्टेज गेन, फीडबैक फैक्टर को पूरी तरह निरस्त करने वाला हो |

 

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