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अर्द्ध-चालक जर्मेनियम तथा सिलिकॉन

नमस्कार पाठको
आज की पोस्ट में हम आपको बता रहे है की डायोड, ट्रांसिस्टर के निर्माण में कौन से अर्द्ध चालक का प्रयोग किया जाता है। डायोड, ट्रांसिस्टर को समझने के लिए जर्मेनियम तथा सिलिकॉन अर्द्ध-चालको को समझना बहुत जरुरी है।

 

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अर्द्धचालक (Semi-Conductors)

जिन पदार्थो की सुचालकता (Conductivity), चालको और अचालको के बीच के स्तर की होती है, वे पदार्थ अर्द्धचालक कहलाते है । प्रमुख अर्द्धचालक तत्व हैजर्मेनियम तथा सिलिकॉन और ट्रांसिस्टर्स के निर्माण में इन्हे प्रमुखता प्राप्त है।
अर्द्धचालको के गुण
  1. अर्द्धचालको की संरचना क्रिस्टलीय (Crystalline) होती है।
  2. अर्द्धचालको की चालकता, तापमान बढ़ाने से बढ़ जाती है और तापमान घटाने से घट जाती है।
  3. तीर्व प्रकाश किरणों, परा बैगनी किरणों (ultra-violet rays) और अवरक्त किरणों (infro-red rays) से अर्द्धचालको की चालकता विशेष रूप से प्रभावित होती है।
  4. जर्मेनियम तथा सिलिकॉन ( Germanium and Silicon)

 

अर्द्ध-चालक जर्मेनियम तथा सिलिकॉन

जर्मेनियम का परमाणु क्रमांक 32 है अर्थात इसमे 32 कक्षीय इलैक्ट्रोन्स होते है और विभिन्न कक्षाओ में इनका वितरण क्रम 2, 8, 18, 4 होता है। इसी प्रकार सिलिकॉन का परमाणु क्रमांक 14 है और विभिन्न कक्षाओ में इलैक्ट्रोन्स का वितरण क्रम 2, 8, 4 होता है। इस प्रकार हम देखते है कि दोनों तत्वों की संयोजी इलैक्ट्रोन्स (Valence electrons)संख्या समान है जो की 4 होती है अर्थात ये दोनों तत्व चतुष्संयोजी (Tetravalent)तत्व है।
जर्मेनियम या सिलिकॉन के परमाणुओ में संयोजी इलैक्ट्रोन्स सहसंयोजी बन्ध में गुंथे होते है और मुक्त इलैक्ट्रोन्स (Free electrons)की संख्या लगभग नगण्य होती है।चित्र में जर्मेनियम क्रिस्टल की संरचना दर्शायी गई है।
जर्मेनियम क्रिस्टल की संरचना

अर्द्ध-चालक जर्मेनियम तथा सिलिकॉन

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इस प्रकार शुद्ध जर्मेनियम या शुद्ध सिलिकॉन लगभग अचालक होते है परन्तु इनमे अन्य तत्वों की कुछ मात्रा अशुद्धि के रूप में मिला देने से इसकी चालकता बढ़ जाती है । शुद्ध अर्द्धचालक पदार्थ इंट्रीसिक (Intrinsic) अर्द्धचालक कहलाते है।

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