वह विधुत मोटर जो DC सप्लाई पर कार्य करती है DC Motor कहलाती है | वह मशीन जो वैधुतिक उर्जा को यांत्रिक उर्जा में परिवर्तित कर देती है मोटर कहलाती है |
जब किसी करंट वाही चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रख दिया जाता है तो चालक को एक यांत्रिक बल का अनुभव होता है | इस बल की दिशा Fleming’s Left Hand Rule से ज्ञात की जाती है | DC Motors की सरचना alternator के समान होती है | इसमे चुम्बकीय क्षेत्र, आर्मेचर तथा आर्मेचर को विधुत प्रदान करने के लिए व्यवस्था होती है | DC Motor में कम्यूटेटर तथा ब्रश होते है |
Forward Reverse Motor Starter | Forward and Reverse Control Circuit
यदि बाँए हाथ की first finger और second finger तथा thumb को परस्पर समकोण बनाते हुए खोले और first finger चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा second finger दिए गए वि. वा. ब. या करंट प्रवाह की दिशा में हो तो अंगूठा (thumb) चालक के गति करने की दिशा को प्रदर्शित करेगा |
इस नियम का उपयोग विधुत मोटर्स में आर्मेचर में घूर्णन की दिशा ज्ञात करने में किया जाता है |
इसी प्रकार Dc motor कार्य करती है इसमें current और magnetic field को एक दुसरे के perpendicular रखा जाता है तो Force पैदा होता है और force की दिशा Fleming के left hand से ही होती है dc motor के आर्मेचर में वाइंडिंग इस प्रकार करते है की जब उसमे current flow हो तब वो magnetic field के perpendicular हो जैसे की नीचे की image में इस आर्मेचर में जो कॉपर वायर है उसका ज्यादा हिस्सा उस तरफ है जो की magnetic field के perpendicular होगा |
डी०सी० मोटर्स तीन प्रकार की होती है :-
सिरीज मोटर (Series DC Motor)
इस मोटर की आर्मेचर तथा फील्ड वाइंडिंग सप्लाई के सीरीज में जोड़ी जाती है | फील्ड वाइंडिंग कम टर्न की और पतले तार की होती है | इसे बिना लोड के नही चलाया जाता क्योकि शून्य लोड पर इसकी गति बहुत अधिक होगी | इसकी गति और करंट का मान लोड पर निर्भर करता है | इसका उपयोग खिंचाव कार्यो जैसे ट्राम (Tram) में किया जाता है |
शंट मोटर (Shunt DC Motor)
इस मोटर की आर्मेचर तथा फील्ड वाइंडिंग के समानान्तर में जोड़ी जाती है | फील्ड वाइंडिंग अधिक टर्न की और मोटे तार की होती है | इस मोटर की गति स्थिर रहती है चाहे इस पर लोड रहे या न रहे | इसका उपयोग कार्यशालाओ में विभिन्न प्रकार की मशीने चलाने में किया जाता है |
कंपाउंड मोटर (Compound D.C. Motors)
इस मोटर की फील्ड वाइंडिंग दो भागो में बंटी होती है | एक भाग आर्मेचर के सीरीज में और दूसरा भाग शंट में लगाया जाता है | इसमे सिरीज तथा शंट दोनों प्रकार की मोटरो के गुण विधमान होते है, अतः यह एक बहोपयोगी मोटर है और इसका उपयोग लिफ्ट उत्तोलक आदि में किया जाता है |
Note :- उपरोक्त तीनो प्रकार की D.C. Motors की सरचना स्व-उत्तेजित जैनेरेटरो के समान होती है इसीलिए इनके सर्किट्स एक समान होते है |
जरुर पढ़े
सिरीज मोटर | शंट मोटर | कंपाउंड मोटर | |
फील्ड वाइंडिंग | D.C. Series Motor में फील्ड वाइंडिंग कम टर्न की और पतले तार की होती है | | D.C. Shunt Motor में फील्ड वाइंडिंग अधिक टर्न की और मोटे तार की होती है | | D.C. Compound Motor में सिरीज तथा शंट दोनों प्रकार की मोटरो के गुण विधमान होते है इसमे वाइंडिंग आर्मेचर के सीरीज और शंट दोनों में लगी होती है | |
उपयोग | D.C. Series Motor को बिना लोड के नही चलाया जाता क्योकि बिना लोड पर इसकी गति बहुत अधिक होती है | | D.C.Shunt Motor को लोड और बिना लोड दोनों में चलाया जा सकता है क्योकि इसकी गति स्थिर होती है | | इसका उपयोग लिफ्ट उत्तोलक आदि में किया जाता है |
| सिरीज वाउन्ड जैनेरेटर | शंट वाउन्ड जैनेरेटर | कंपाउंड वाउन्ड जैनेरेटर |
फील्ड वाइंडिंग | सिरीज वाउन्ड जैनेरेटर में फील्ड वाइंडिंग मोटे तार का और कम लपेटे की होती है | | शंट वाउन्ड जैनेरेटर में फील्ड वाइंडिंग पतले तार और अधिक लपेटो की होती है | कंपाउंड वाउन्ड जैनेरेटर सिरीज और शंट दोनों का संयुक्त रूप है | |
उपयोग | सिरीज वाउन्ड जैनेरेटर बिना लोड लगाये यह जैनेरेटर EMF पैदा नही करता है | शंट वाउन्ड जैनेरेटर बिना लोड लगाये भी EMF पैदा कर सकता है |
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