विधुत धारा
किसी चालक में से इलैक्ट्रोन्स का प्रवाह विधुत धारा कहलाता है।करंट का प्रवाह पॉजिटिव से नेगेटिव की ओर माना जाता है । इलैक्ट्रोन्स का प्रवाह नेगेटिव से पॉजिटिव की ओर होता है। करंट का प्रतीक “I”तथा मात्रक एम्पीयरहै।
करंट मुख्यतः निम्न प्रकार की होती है।
1-डायरेक्ट करंट
–जिस करंट का मान और दिशा समान रहती है । वह डायरेक्ट करंट या डी.सी. कहलाती है । बैटरी,ज़ैनेरेटर आदि से प्राप्त होने वाली करंट डी.सी. होती है।
2-आल्टरनेटिंग करंट
–जिस करंट का मान और दिशा एक निश्चित समय के अनुसार बदलती रहती है वह आल्टरनेटिंग करंट या ए.सी. कहलाती है। आल्टर्नेटर ओसिलेटर आदि से प्राप्त होने वाली करंट ए.सी. होती है।
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डी.सी. की अपेक्षा ए.सी. के लाभ
1- ए.सी. का विकास उत्पादन के बाद किलो वोल्ट स्तर तक किया जा सकता है।
2- ए.सी. को बिना विशेष शक्ति व्यय के निम्न वोल्टेज से उच्च वोल्टेज में तथा उच्च वोल्टेज से निम्न वोल्टेज में बदला जा सकता है
3- ए.सी. को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया सकता हे।
और इसमे व्यय भी कम होता है।
4- डी.सी. की अपेक्षा ए.सी. का शक्ति व्यय कम है। अतः उपभोक्ता को ए.सी. उपयोग करने से आर्थिक लाभ होता है
ए.सी. की अपेक्षा डी.सी. के लाभ
1-अनेक इलैक्ट्रोनिक उपकरणों के संचालन के लिए डी.सी. चाहिए।
2-इलेक्ट्रोप्लेटिंग डी.सी. से की जाती हैं।
3-आर्क वैल्डिंग डी.सी. से अच्छी की जाती है।