आज हम आपको बता रहे है फुल वेव रेक्टिफायर के बारे में फुल वेव रेक्टिफायर में हमें आउटपुट में डी.सी. की फुल वेव प्राप्त होती है। फुल वेव रेक्टिफायर की परिभाषा और सर्किट के बारे में नीचे बताया गया है। जिसको पढ़ने के बाद आप फुल वेव रेक्टिफायर सर्किट आसानी से बना सकते हो।
फुल-वेव रेक्टिफायर किसे कहते है
फुल–वेव रेक्टिफायर(Full-Wave Rectifier)- इस सर्किट में दो डायोड प्रयोग किये जाते है। दोनों डायोड्स के एनोड एक मध्य सिरे वाली ट्रांसफार्मर की सेकेण्डरी वाइन्डिंग के दोनों सिरों से जोड़ दिये जाते है। प्रत्येक आधे साइकिल में एक न एक डायोड कार्य करके लोड करंट का बहाव बनाये रखता है। क्योकि इस रेक्टिफायर में डी०सी० की फुल–वेव प्रयुक्त होती है, इसीलिए यह सर्किट फुल–वेव रेक्टिफायर कहलाता है।
इसमे दोनों डायोड्स लोड रेसिस्टर तथा ट्रांसफार्मर की सेकेण्डरी वाइन्डिंग से इस प्रकार जोड़े जाते है कि प्रत्येक डायोड के सर्किट में आधी सेकेण्डरी वाइन्डिंग जुडी रहे और दोनों डायोड्स के सर्किट्स उभयनिष्ठ लोड रेसिस्टर RL द्वारा पूरे होते है।पहले पॉजिटिव हाफ साइकिल में डायोड D1 की एनोड पॉजिटिव होगी और सर्किट में इलेक्ट्रोन्स प्रवाह D1के कैथोड से एनोड सेकेण्डरी वाइन्डिंग के ऊपरी भाग तथा लोड रेसिस्टर RLमें से होगा। इस समय डायोड D2 निष्क्रिय रहेगा।
निगेटिव हाफ साइकिल में डायोड D1तो निष्क्रिय हो जायेगा परन्तु सेकेण्डरी वाइन्डिंग का नीचे वाला सिरा पॉजिटिव होने के कारण डायोड D2में से इलैक्ट्रॉन्स प्रवाह प्रारम्भ हो जायेगा। सर्किट में इलैक्ट्रॉन्स प्रवाह D2के कैथोड के एनोड सेकेण्डरी वाइन्डिंग के निचले भाग तथा लोड रेसिस्टर RLमें से होगा। यह ध्यान रखना चाहिये कि करंट प्रवाह की दिशा इलैक्ट्रॉन्स प्रवाह के विपरीत होती है।
इस प्रकार दोनों डायोड के बारी–बारी से कार्य करने के कारण प्रत्येक अर्द्ध साइकिल के लिए आउटपुट प्राप्त होता है और आउटपुट में करंट प्रवाह लगातार बना रहता है। इस रेक्टिफायर सर्किट की रिपिल फ्रीक्वेन्सी दो गुनी होने से आउटपुट करंट लगातार बनी रहती है इस सर्किट की दक्षता अधिक होती है और ट्रांसफार्मर की सेकण्डरी वाइन्डिंग के दो खण्डों में विपरीत दिशाओं में करंट के कारण कोर का डी०सी० चुम्बकीय सैचुरेशन (Magnetic Saturation)काम होता है।
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