ऐसे रेसिस्टर्स जिनका मान सरलता से घटाया बढ़ाया जा सके पोटेंशियोमीटर कहलाते है। रेडियो रिसीवर में वोल्यूम तथा टोन नियंत्रण के लिए प्रयोग किये जाने वाले रेसिस्टर पोटेंशियोमीटर कहलाते है।
इनसे एक व्रताकार पट्टी जो लगभग ¾व्रत खण्ड आकार की होती है के ऊपर कार्बन फिल्म जमाई जाती है । एक धुरे से जुड़ा एक आर्म इस पत्ती पर इस प्रकार गति करता है कि आर्म तथा पत्ती के एक सिरे के बीच शून्य से अधिकतम के बीच कोई भी रेसिस्टेन्स मान प्राप्त किया जा सके।
पोटेंशियोमीटर अधिकतर कार्बन किस्म के बनाये जाते है परन्तु कुछ विशेष कार्यो (जैसे मल्टीमीटर में सैल के E M F के संयोजन के लिए लगाया गया नियंत्रण ) के लिए निम्न मान (जैसे 1 से 100 ओम तक) के वायर वाउंड किस्म के पोटेंशियोमीटर भी बनाये जाते है ।
इसमे रेसिस्टेन्स मान में परिवर्तन उसके आर्म के घुमाव कोण के समानुपाती होता है।
2 – लॉगरिथमिक पोटेंशियोमीटर
(Logarithmic potentiometer)
–किसी रिसीवर या ए. एफ. एम्पलीफायर से प्राप्त होने वाली आउटपुट ध्वनि की तीव्रता को एक गुना, दो गुना, तीन गुना, आदि बढ़ाने के लिए A.F सिगनल शक्ति का मान क्रमशः दस गुना, सौ गुना, हजार गुना, आदि बढ़ाना पड़ता है। इसीलिए ध्वनि मापन की इकाई लघुगुणकीय इकाई डेसिबैल रखी गई है।
इसप्रकाररिसीवरएम्पलीफायरयाऐसेहीदूसरेउपकरणोंमेंवोल्यूमतथाटोनकेनियंत्रणकेलॉगरिथमिकपोटेंशियोमीटरप्रयोगकियेजातेहै।किसीलॉगरिथमिकपोटेंशियोमीटरकेरेसिस्टेन्समानमेंपरिवर्तनआर्मकेघुमावकोणकेसमानुपातीनहीहोता।इसमेसमानघुमावकोणकेलिएरेसिस्टेन्समानक्रमशः 1, 10, 100, 1000ओम के क्रम से परिवर्तित होता है ।
3 – प्री–सैट (Pre Set)
–यह एक अत्यन्त लघु आकार वाला पोटेंशियोमीटर होता है। सामान्यता इसे किसी उपकरण की PCB पर ही स्थापित किया जाता है। इसका ओह्मिक मान एक छोटे पेंचकस के द्वारा समायोजित किया जा सकता है कभी कभी प्री सैट को पॉट भी कहते है । ये लीनियर तथा ऑगरिथमिक दोनों किस्मो में बनाये जाते है इनका मान 100 ओम से 1 मैगा ओम तक होता है। इनका प्रयोग टी.वीं. रिसिवर्स में बहुतायत से किया जाता है।
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