नमस्कार _/ \_ अपनी पहली पोस्ट में हम आपको बता चूके है की P-N-P ट्रांसिस्टर कैसे कार्य करता है आज की पोस्ट में हम आपको बता N-P-N ट्रांसिस्टर का कार्य कॉम्पोनेन्ट की टैस्टिंग और पहचान के साथ साथ हमे कॉम्पोनेन्ट की कार्य विधि का भी पता होना चाहिए जिससे की हम उस कॉम्पोनेन्ट का सही से उपयोग कर सके।
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N-P-N ट्रांसिस्टर का कार्य (Working of N-P-N Transistor)
ट्रांसिस्टर N-P-N का फॉरवर्ड बायस सर्किट दर्शाया गया है। इसमें एमीटर को बैट्री के नेगेटिव से तथा कलैक्टर को बैट्री के पॉजिटिव से जोड़ा गया है। ज दिया जाता हैबेस को कलैक्टर की अपेक्षा काफी कम पॉजिटिव वोल्टे।
एमीटर का निगेटिव आवेश, मुक्त इलैक्ट्रोन्स को एमीटर संगम की ओर विकर्षित करता है। बेस क्षेत्र का P-पदार्थ स्वाभाविक रूप से एमीटर द्वारा विकर्षित मुक्त इलैक्ट्रोन्स को आकर्षित कर लेता है। कुछ मुक्त इलैक्ट्रोन्स तो बेस क्षेत्र में होल्स के साथ संयुक्त हो जाते है
परन्तु अधिकांश मुक्त इलैक्ट्रोन्स को कलैक्टर का प्रबल पॉजिटिव आकर्षण अपनी ओर खींच लेता है। इस प्रकार मुक्त इलैक्ट्रोन्स एमीटर क्षेत्र से चलकर एमीटर संगम बेस क्षेत्र तथा कलैक्टर संगम के पार कलैक्टर संगम के पार कलैक्टर क्षेत्र में पहुँच जाता है।
N-P-N ट्रांसिस्टर में तथा ट्रांसिस्टर सर्किट में करंट का प्रवाह मुक्त इलैक्ट्रोन्स के द्वारा होता है। एमीटर से चलकर कलैक्टर पर पहुँचने वाले मुक्त इलैक्ट्रोन्स की संख्या का नियंत्रण बेस बायस द्वारा होता है और इसी गुण के आधार पर ट्रांसिस्टर का उपयोग एम्पलीफिकेशन आदि कार्यो के लिए किया जाता है। N-P-N ट्रांसिस्टर की कार्य प्रणाली और मुक्त इलैक्ट्रोन्स प्रवाह की दिशा आदि ट्रायोड वाल्व के बिलकुल अनुरूप है।
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