क्रिस्टल ऑसिलेटर का ट्रांजिस्टर कन्ट्रोल्ड ऑसिलेटर परिपथ
क्रिस्टल ऑसिलेटर में टैंक सर्किट के स्थान पर क्रिस्टल प्रयोग किया जाता है | क्रिस्टल कन्ट्रोल्ड (Crystal Controlled) ऑसिलेटर्स अपनी फ्रीक्वेंसी स्थिरता के लिए जाना जाता है | इसमे क्रिस्टल के पीजो – इलैक्ट्रिक प्रभाव (Piezo-electric effect) का प्रयोग किया जाता है |
क्रिस्टल ऑसिलेटर (Crystal Oscillator)
पीजो इलैक्ट्रिक प्रभाव – कुछ पदार्थो जैसे Quartz रोशेल साल्ट (Rochelle salt sodium potassium tartate) के क्रिस्टल्स में यह गुण पाया जाता है की जब उनके दो आमने सामने के फलको पर प्रत्यावर्ती (Alternating) दबाव डाला जाता है तो उसके दो अन्य लम्बवत आमने सामने के फलको के बीच Alternating वोल्टेज पैदा हो जाता है |
इसके विपरीत यदि दो आमने सामने के फलको पर Alternating वोल्टेज दिया जाये तो उसके दो अन्य लम्बवत आमने सामने के फलक कम्पन करने लगते है क्रिस्टल की कम्पन फ्रीकवेंसी उसकी मोटाई पर निर्भर करती है |
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ऑसिलेटर में अधिकतर Quartz क्रिस्टल प्रयोग किये जाते है क्योकि क्वार्ट्र्ज एक कठोर और स्थायी पदार्थ है | इनके द्वारा 50KHz से 50MHz की फ्रीक्वेंसी पैदा की जा सकती है | क्रिस्टल उत्तेजक वोल्टेज के प्रथम आधे साईकिल में यांत्रिक रूप में उर्जा एकत्र कर लेता है और दुसरे आधे साईकिल में यह उर्जा वैधुतिक रूप में क्रिस्टल द्वारा मुक्त कर दी जाती है | क्रिस्टल द्वारा वैधुतिक उर्जा को एकत्र करने और मुक्त करने की दर उसकी प्राकर्तिक फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करती है |
फ्रीक्वेंसी स्थिरता (Frequency Stability) :- किसी ऑसिलेटर सर्किट का वह गुण जिसके कारण वह स्थिर फ्रीक्वेंसी पैदा करता है, फ्रीक्वेंसी स्थिरता कहलाती है | क्रिस्टल ऑसिलेटर फ्रीक्वेंसी परिवर्तन 0.02% से अधिक नही होता जबकि L-C ऑसिलेटर का फ्रीक्वेंसी परिवर्तन 0.1% तक होता है |
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