इलैक्ट्रॉनिक्स किसे कहते है ?
हेल्लो दोस्तों,
मेरा नाम विवेक चौधरी है और में आपके लिए अपना पहले पोस्ट कर रहा हूं जिसका शीर्षक है इलैक्ट्रॉनिक्स किसे कहते है?बोहोत से मेरे दोस्त इलैक्ट्रॉनिक्स पढ़ रहे होंगे या आगेअपना कैरियर इलैक्ट्रॉनिक्स में बनाने की सोच रहे होंगे तो उनके लिए सबसे जरुरी है जानना की इलैक्ट्रॉनिक्स किसे कहते है?
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तोआये जाने की इलैक्ट्रॉनिक्स क्या है।
जरूर पढ़े।
इलैक्ट्रॉनिक्स
विज्ञान के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रॉनिकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार के माध्यमों(निर्वात, गैस, धातु, अर्धचालक, नैनो–संरचना आदि) से हो कर आवेश (मुख्यतः इलेक्ट्रॉन) के प्रवाह एवं उन पर आधारित युक्तिओं का अध्ययन करता है।
प्रौद्योगिकी के रूप मेंइलेक्ट्रॉनि की वह क्षेत्र है जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों (प्रतिरोध, संधारित्र, इन्डक्टर, इलेक्ट्रॉन ट्यूब, डायोड, ट्रान्जिस्टर,एकीकृत परिपथ (IC) आदि) का प्रयोग करके उपयुक्त विद्युत परिपथ का निर्माण करने एवं उन के द्वारा विद्युत संकेतों को वांछित तरीके से बदलने(manipulation) से संबंधित है।
इसमें तरह–तरह की युक्तियों का अध्ययन, उनमें सुधार तथा नयी युक्तियों का निर्माण आदि भी शामिल है। ऐतिहासिक रूप से इलेक्ट्रॉनिकी एवं वैद्युत प्रौद्योगिकी का क्षेत्र समान रहा हैऔर दोनो को एक दूसरे से अलग नही माना जाता था। किन्तु अब नयी–नयी युक्तियों, परिपथों एवं उनके द्वारा सम्पादित कार्यों में अत्यधिक विस्तार हो जाने से इलेक्ट्रॉनिक्स को वैद्युत प्रौद्योगिकी से अलग शाखा के रूप में पढाया जाने लगा है।
इस दृष्टि से अधिक विद्युत–शक्ति से सम्बन्धित क्षेत्रों (पावर सिस्टम, विद्युत मशीनरी, पावर इलेक्ट्रॉनिकी आदि) को विद्युत प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत माना जाता हैजबकि कम विद्युतशक्ति एवं विद्युत संकेतों के भांति–भातिं के परिवर्तनों(प्रवर्धन, फिल्टरिंग, मॉड्युलेश, एनालाग से डिजिटल कन्वर्शन आदि) से सम्बन्धित क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी के भाग
परिपथों के आधार पर इलेक्टानिक प्रौद्योगिकी को मुख्यतः दो भागों में बांटकर अध्ययन किया जाता है:
एनालाग इलेक्ट्रॉनिकी
अनुरूप इलेक्ट्रॉनिकी इन परिपथों में विद्युत संकेत सतत (अनालॉग) होते हैं और उनका प्रसंस्करण करने के बाद भीवे सतत ही बने रहते हैं।उदाहरण के लिये ट्रान्जिस्टर–प्रवर्धक एक एनालाग सिस्टम है। ऑपरेशनल एम्प्लिफायर के विकास एवं आई–सीके रूप में इसकी उपलब्धता से एनालाग इलेक्ट्रॉनिकी में एक क्रान्ति आ गयी। डिजिटल या अंकीय इलेक्ट्रॉनिक
डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स
इसमें विद्युत संकेत अंकीय होते हैं। अंकीय संकेत बहुत तरह के हो सकते हैं किन्तु बाइनरी डिजिटल संकेत सबसे अधिक उपयोग में आते हैं। शून्य/एक, ऑन/ऑफ, हाँ/नहीं, लो/हाई आदि बाइनरी संकेतों के कुछ उदाहरण हैं।
जब से एकीकृत परिपथों (इन्टीग्रेटेड सर्किट) का प्रादुर्भाव हुआ है औरएक छोटी सी चिप में लाखों करोंड़ों इलेक्ट्रॉनिक युक्तियाँ भरी जाने लगीं हैं तब से डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है।
आधुनिक व्यक्तिगत कम्प्यूटर (पीसी) तथासेल–फोन, डिजिटल कैमरा आदि डिजिटल इलेक्ट्रॉनिकी की देन हैं। अंकीय इलेक्ट्रॉनिकी ने सिगनल–प्रोसेसिंगको एक नया आयाम दिया है जिसे डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग (अंकीय संकेत प्रक्रमण) कहते हैं। एनालाग सिगनल प्रोसेसिंग की तुलना में यह बहुत ही सुविधाजन कव प्रभावकारी है।
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इलेक्ट्रॉनिकी का इतिहास
इलेक्ट्रॉनिकी का आधुनिक रूप रेडियो एवं दूरदर्शन के विकास के रूप में सामने आया। साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध में प्रयुक्त रक्षा उपकरणों एवं रक्षा–तन्त्रों से भी इसका महत्व उभरकर सामने आया।किन्तु इलेक्ट्रॉनिकी की नीव बहुत पहले हीर खी जा चुकी थी।
इलेक्ट्रॉनिकी के विकास की मुख्य घटनायें एवं चरण संक्षेप में इस प्रकार हैं:
• १८८३ – थॉमस अल्वाएडिसन ने पायाकि निर्वात में इलेक्ट्रान धातु केएक चालक सेदूसरे चालक में प्रवाहित हो सकतेहैं। बाद मेंइसी सिद्धान्त परनिर्वात डायोड और ट्रायोडबने।
• १८९३ मेंनिकोलाई टेस्ला द्वारा रेडियो संचार का प्रदर्शन
• १८९६ मेंमार कोनी ने रेडियो संचार का व्यावहारिक प्रदर्शन करके दिखाया।
• १९०४ मेंजॉन अम्ब्रोस फ्लेमिंगने पहला डायोडबनाया जिसे रेडियोट्यूब कहा गया।
• १९०६ मेंरॉबर्ट बान लीबेन और ली डीफारेस्ट ने स्वतन्त्ररूप से ट्रायोड का निर्माण किया जो प्रवर्धक (एम्प्लिफायर) का काम करने में सक्षम थी।इसी के साथ इलेक्ट्रॉनिकी के विकास का दौर आरम्भ हुआ। इलेक्ट्रान ट्यूबों का पहला उपयोग रेडियो संचार में हुआ।
• १९४७ में बेल प्रयोगशाला में कार्यरत विलियम शाक्ले नेट्रांजिस्टर का आविष्कार किया। इस आविष्कार के फलस्वरूप इलेक्ट्रॉनिकी निर्वात–नलिका पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों से हटकर एक नये युगमें प्रवेश कर गयी। अब छोटे–छोटे रेडियो आने लगे।
• १९५९ में एकीकृत परिपथ का आविष्कार हुआ। इसके पहले इलेक्ट्रॉनिक परिपथ अलग–अलग इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों को जोड़कर बनाये जाते थे जिससे अधिक जगह घेरते थे, अधिक सविद्युत शक्ति लेते थे, विश्वसनीयता कम थी।आई–सी के पदार्पण ने नयी सम्भावनायें खोल दीं।आधुनिक पीसी, एवं मोबाइल आदि आई–सीके आविष्कार के बिना इतने छोटे, सस्ते एवं इतने कार्य क्षम नहीं हो सकते थे।
• १९६८ मेमाइक्रो प्रोसेसर का विकास(इन्टेल में कार्यरत मार्सिअन हॉफ (Marcian Hoff) द्वारा)
उम्मीद है आपको पता चल गया होगा की इलेक्ट्रॉनिक्स किसे कहते है.
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