हाफ-वेव रेक्टिफायर
हाफ-वेव रेक्टिफायर किसे कहते है
डायोड को ए०सी० वोल्टेज ट्रांसफार्मर या मेन रेसिस्टर तथा लोड रेसिस्टर के द्धारा दी जाती है।एनोड सर्किट में करंट प्रवाह प्रत्येक इनपुट साईकिल के केवल आधे समय के लिए होता है क्योंकि एनोड करंट तभी बहेगी जबकि एनोड कैथोड की अपेक्षा पॉजिटिव विभव पर होगा । जब एनोड कैथोड की अपेक्षा नेगेटिव विभव पर होगा तब एनोड करंट का मान शून्य होगा, क्योकि नेगेटिव एनोड और नेगेटिव इलैक्ट्रॉन्स के बीच आकर्षण नही होता।इस प्रकार आल्टरनेटिंग करंट एक दिशा में बहने वाली करंट (डी०सी०) में परिवर्तित हो जाती है। बहुत से इलैक्टोन्स छोड़ देने के कारण कैथोड पॉजिटिव आवेश पर आ जाता है इसीलिए आउटपुट डी०सी० के लिए कैथोड पॉजिटिव टर्मिनल का कार्य करता है। इलैक्ट्रॉन्स प्रवाह एनोड से ट्रांसफार्मर लोड रेसिस्टर तथा डायोड में से होता हुआ अपना सर्किट पूरा करता है जबकि करंट प्रवाह इस दिशा के विपरीत दिशा में होता है।
हाफ–वेव रेक्टिफायर (Half-wave Rectifier)
जैसा की चित्र में दिखाया गया है आउटपुट करंट का मान शून्य से अधिकतम और अधिकतम से शून्य के बीच एक ही दिशा में घटता बढ़ता है। करंट मान इस प्रकार का घटाव बढ़ाव रिपिल(Ripple)कहलाता है। आउटपुट डी०सी० की रिपिल फ्रीक्वेन्सी (Ripple frequency) सप्लाई फ्रीक्वेन्सी के तुल्य (सामान्यतः 50 हर्ट्ज) होती है । एनोड करंट के एम्पलीट्यूड में होने वाले उपरोक्त परिवर्तन पल्सेशन्स (Pulsations) कहलाते है और इस पार्क की डी०सी० पल्सेटिंग डी०सी० (Pulsating D.C.) कहलाती है। पल्सेटिंग डी०सी० को सरल डी०सी० (smooth d.c.) में परिवर्तित करने के लिए फ़िल्टर सर्किट लगाये जाते है।
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ऊपर चित्र में हाफ वेव रेक्टिफायर का फ़िल्टर सर्किट दिखाया गया है। सर्किट में एक इलैक्ट्रो लाइटिक कैपेसिटर तथा रेसिस्टर लगाया गया है जो पल्सेटिंग डी०सी० (Pulsating D.C.) को शुद्ध डी.सी. में बदल देता है जिससे आउटपुट में शुद्ध डी.सी.प्राप्त होती है।
अवगुण– हाफ–वेव रेक्टिफायर की दक्षता काफी कम होती है और रिपिल तथा सप्लाई फ़्रिक्वेसी का मान एक की होने के कारण पल्सेटिंग डी०सी० को सरल डी०सी० में परिवर्तित करने के लिए कई खण्ड वाला फ़िल्टर सर्किट लगाना पड़ता है।
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