फेज शिफ्ट R-C Oscillator circuit किसे कहते है ?
सामान्य L-C तथा क्रिस्टल ऑसिलेटर्स के अतिरिक्त R-C Oscillator circuit भी प्रचलित है जिनका उपयोग T.V , C.R.O आदि में एक निश्चित मान की फ्रीकवेंसी पैदा करने में किया जाता है। कॉमन एमीटर ट्रांजिस्टर एम्पलीफायर में इनपुट की अपेक्षा आउटपुट 180० के फेज अन्तर पर होता है। अतः R-C फीडबैक नेटवर्क में पुनः 180० का अन्तर पैदा करना आवश्यक है। जिससे की फीडबैक रिजेनेरेटिव या पॉजिटिव प्रकार का हो और सर्किट को ऑसिलेट करा सके। L-C सर्किट में यह फेज शिफ्ट इंडक्टर द्वारा प्राप्त हो जाता है परन्तु R-C सर्किट में इसके लिए प्रबन्ध करना पड़ता है।
फेज शिफ्ट आर० सी०ऑसिलेटर सर्किट (Phase Shift R-C Oscillator circuit)
ऑसिलेटर के लिए आवश्यक फीडबैक वोल्टेज फीडबैक नैटवर्क R1 C1, R2 C2 , R3 C3 के द्वारा प्राप्त किया गया है। प्रत्येक R-C संयोजन 60० का फेज शिफ्ट पैदा करता है। हम जानते है की शुद्ध कैपेसिटिव सर्किट में वोल्टेज करंट से 90० पीछे रहता है परन्तु R-C सर्किट में वोल्टेज के पिछड़ने का कोण 90० से कम होता है R-C संयोजन का मान इस प्रकार निर्धारित किया जाता है की वोल्टेज के पिछड़ने का कोण 60० हो जाये। इस प्रकार तीन R-C संयोजनों से 180० का फेज शिफ्ट प्राप्त हो जाता है।
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फेज शिफ्ट R-C Oscillator circuit के गुण और अवगुण
गुण :- R-C ऑसिलेटर कुछ हर्ट्ज से 100 MHz तक की फ्रीकवेंसी पैदा करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है परन्तु यह कम फ्रीकवेंसी ऑसिलेटर के रूप में अधिक उपयोगी है। कम फ्रीकवेंसी रेंज पर एक तो इसकी फ्रीकवेंसी स्थिर होती है और दूसरे ट्रांसफार्मर या कवायल आदि लगाने की कोई आवश्यकता नहीं होती। इसीलिए इसकी IC चिप्स सरलता से बनाई जा सकती है।
अवगुण :- इसका उपयोग वैरिएबल फ्रीकवेंसी ऑसिलेटर के रूप में नहीं किया जा सकता क्योकि फ्रीकवेंसी को परिवर्तित करने के लिए पुरे फेज शिफ्ट नैटवर्क़ के पुर्जे बदलने होंगे।
फेज शिफ्ट R-C ऑसिलेटर का फ्रीकवेंसी सूत्र
यहां ,
f = फ्रीकवेंसी हर्ट्ज में
R = कुल रसिस्टेन्स ओह्म में (तीनो रेसिस्टर्स का )
C = कुल कैपेसिटेंस फैरड में (तीनो कैपेसिटर्स का )
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