Transistor Biasing की विधि क्या है ?/ Voltage Divider Biasing विधि
ट्रांजिस्टर बायसिंग (Transistor Biasing) किसी ट्रांजिस्टर के प्रचालन के लिए उसके क्लैक्टर तथा बेस को ऑपरेटिंग D.C. बायस प्रदान करना आवश्यक होता है। Transistor Biasing में प्रारम्भिक प्रकार के सर्किट में इस कार्य के लिए दो अलग बैटरी प्रयोग की जाती थी जो की अत्यन्त असुविधाजनक थी। अतः कलैक्टर तथा बेस को एक ही D.C. स्रोत से बायस प्रदान करने के लिए कई प्रकार के circuits डिजाइन किये गये जो Transistor Biasing circuit कहलाते है इस कार्य के लिए निम्न चार प्रकार के circuits प्रयोग किये जाते है।
Transistor Biasing के लिए निम्न प्रकार के circuits प्रयोग किये जाते है।
1. Transistor Biasing के लिए Base Resistor Biasing method :- इस विधि में D.C. स्रोत से एक उच्च मान KΩ का प्रतिरोधक RB संयोजित कर बेस को बायस प्रदान की जाती है। क्लैक्टर सर्किट में भी कम मान का प्रतिरोधक RL प्रयोग किया जाता है जो वोल्टेज ड्रॉपिंग तथा लोड Resistor का कार्य करता है। इस सर्किट में एमीटर को अर्थ कर दिया जाता है।
लाभ :-
- यह सर्किट सरल है।
- इसका संयोजन एव गणनाएँ सरल है।
हानियाँ :-
- यह सर्किट लीनियर एम्पलीफिकेशन श्रेणी A एम्पलीफिकेशन के लिए अनुपयोगी है।
- यह सर्किट स्थिर एम्पलीफिकेशन प्रदान नहीं करता।
2. Transistor Biasing के लिए Feedback Resistor Biasing Method :- इस विधि में बेस बायसिंग प्रतिरोधक RB का एक सिरा सीधे D.C. सप्लाई से जोड़ दिया जाता है। इसमें प्रतिरोधक RB का मान कम रखा जाता है।
लाभ :-
- इस सर्किट का ऑपरेटिंग बिन्दु स्थिर रहता है।
- इस सर्किट की thermal stability बेस प्रतिरोधक बायसिंग विधि की अपेक्षा उच्च होती है।
हानियाँ :-
- इस सर्किट में D.C. Feedback के साथ साथ A.C. Feedback भी पैदा होती है जिससे एम्प्लीफायर का गेन घट जाता है और इसीलिए यह सर्किट बहुत कम प्रयोग किया जाता है
- इस सर्किट में बेस बायस का मान अपेक्षाकृत कम स्थिर रहता है।
3. Transistor Biasing के लिए Emitter Resistor Biasing Method :- इस विधि में बेस बायसिंग प्रतिरोधक RB के अतिरिक्त एक प्रतिरोधक RE एमीटर अर्थ के बीच संयोजित किया जाता है। यह सर्किट emitter feedback biasing circuit भी कहलाता है।
लाभ :-
- इस सर्किट में ऑपरेटिंग बिन्दु के स्थिरीकरण के लिए एमीटर सर्किट में लगाया गया प्रतिरोधक D.C. बायस प्रदान करता है।
- यह एक सरल सर्किट है।
हानियाँ :-
- VCC का मान अधिक रखना पड़ता है क्योकि VCE = VCC— ( VC + VE )
- D.C. feedback के साथ साथ पैदा होने वाले A.C. Feedback को रोकने के लिए capacitor CE का प्रयोग किया आवश्यक है।
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Transistor Biasing के लिए वोल्टेज डिवाडर बायसिंग विधि
4. वोल्टेज डिवाडर बायसिंग विधि ( Voltage Divider Biasing Method ) :- यह सर्वाधिक प्रयोग की जाने वाली बायसिंग विधि है। इस विधि में बेस बायस का मान अन्य विधियों की तुलना में स्थिर रहता है इसमें दो प्रतिरोधक R1 तथा R2 positive तथा negative सप्लाई के एक्रॉस श्रेणी क्रम में जोड़े जाते है और उनके जोड़ से बेस को बायस प्रदान की जाती है। प्रतिरोधकों R1 तथा R2 से बने वोल्टेज डिवाडर में प्रतिरोधक R2 के एक्रॉस ड्रॉप होने वाला वोल्टेज ट्रांजिस्टर के लिए फॉरवर्ड बेस बायस तैयार करता है।
इस सर्किट में बायस स्थिरीकरण प्रक्रिया निम्न प्रकार है :- यदि सर्किट का तापमान बढ़ता है तो कलैक्टर करंट IC भी बढ़ जाती है। जिसके कारण प्रतिरोधक RE के एक्रॉस वोल्टेज ड्रॉप भी बढ़ेगा। परन्तु प्रतिरोधक R2 के एक्रॉस ड्रॉप होने वाला वोल्टेज क्लैक्टर में होने वाली वृद्धि IC से अप्रभावित रहता है इसीलिए VBE का मान घट जायेगा ( क्योकि R2 = VE + VBE और इसमें से VE का मान घट गया है ) बेस बायस घटने से कलैक्टर करंट IC घट कर अपने मूल मान पर पहुँच जाएगी।
लाभ :-
- इस सर्किट में बेस बायस का मान स्थिर रहता है।
- बेस बायस का मान कलैक्टर करंट पर निर्भर नहीं करता।
हानियाँ :- Circuit बड़ा हो जाता है और अधिक components लगाने पड़ते है।
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